Monday, February 25, 2008

हमें गुरूजी बतलाते थे

हमें गुरूजी बतलाते थे
दुनिया की शुरुआत में बच्चों
जीव हुआ करते थे ऐसे
जिनके कोई रीढ़ नहीं थी.

वक्त कटा और मौसम बीते
आगे बढ़ी विकास कहानी
टिककर एक जगह जीवों ने
अपना एक समाज बनाया.

वही गुरूजी ये भी कहते
कुदरत खुद को दोहराती है
पूरा करके अपना फेरा
वापस आती उसी बिंदु पर.

जिसने कभी समाज बनाया
वही असामाजिक अब दिखता
नहीं कहीं पर रहता टिककर
फिर से उसमें रीढ़ नहीं है.