Monday, May 26, 2008

आदमी क्या करे

ये करे तो मरे
वो करे तो मरे
आदमी क्या करे


ये नहीं सूझता
वो नहीं बूझता
ये नहीं काम का
वो नहीं दाम का

ये करे गलतियां
और सजा वो भरे
आदमी क्या करे

ये जो हैं आफतें
तो वो हैं शामतें
ये हुआ तो अजब
वो हुआ तो गजब

ये नहीं मिल रहा
और वो भी परे
आदमी क्या करे